(पाठ्यपुस्तक से)
प्रश्न 1.
इफ्फन टोपी शुक्ला की कहानी का महत्त्वपूर्ण हिस्सा किस तरह से है?
उत्तर
इफ्फन टोपी शुक्ला कहानी का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है क्योंकि कथा नायक टोपी शुक्ला
की पहली दोस्ती इफ्फन के साथ हुई थी। टोपी शुक्ला व इफ़्फ़न विपरीत धर्मों के
होते हुए भी अटूट व अभिन्न मित्र थे। इफ्फ़न के बिना टोपी शुक्ला की कहानी में
अधूरापन लगेगा और उसे समझा नहीं जा सकेगा। दोनों की घरेलू परंपराएँ अलग-अलग होने
पर भी कोई ताकत उन्हें मिलने से नहीं रोक पाई थी।
प्रश्न 2.
इफ्फन की दादी अपने पीहर क्यों जाना चाहती थीं?
उत्तर
इफ्फ़न की दादी का विवाह मौलवी से हुआ था। वे एक जमींदार की बेटी थी। अपने मायके
में रहते हुए उन्होंने अपनी मरजी और खूब आजादी से खाया-पीया था। वहाँ असामियों के
घर से दूध-घी की जो हांडियाँ आती थीं उनके लिए लखनऊ (अपनी ससुराल) आकर तरस जाना
पड़ा। मायके जाने पर दूध-दही की फिर आजादी हो जाती थी। लखनऊ में उन्हें एक मौलविन
होकर रह जाना पड़ता था, इसलिए वे अपने पीहर जाना चाहती थीं।
प्रश्न 3.
इफ्फन की दादी अपने बेटे की शादी में गाने-बजाने की इच्छा पूरी क्यों नहीं कर
पाईं?
उत्तर
दादी अपने बेटे सय्यद मुरतुजा हुसैन की शादी में गाने-बजाने की इच्छा को इसलिए
पूरी नहीं कर पाईं क्योंकि उनके पति कट्टर मौलवी थे जो हिंदुओं के हाथ का पका हुआ
तक नहीं खाते थे। बेटे की शादी में दादी का दिल गाने-बजाने को लेकर खूब फड़फड़ाया
किंतु मौलवियों के घर में गाने-बजाने की पाबंदी होती थी। इसलिए उनकी इच्छा मन में
ही दबकर रह गई। बेटे की शादी के बाद मौलवी साहब की मृत्यु हो गई। इफ्फ़न बाद में
पैदा हुआ था जिस कारण दादी को अब कोई डर नहीं रह गया था और उसने इफ्फ़न की छठी पर
खूब नाच-गाकर जश्न मनाया था।
प्रश्न 4.
“अम्मी” शब्द सुनकर टोपी के घरवालों की क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर
टोपी शुक्ला अपने मित्र इफ्फ़न के मुँह से अपनी माँ के लिए ‘अम्मी’ शब्द सुना
करता था। उसके घर में अम्मी कहने सुनने पर कोई आपत्ति न थी। यह ‘अम्मी’ शब्द उसे
भी अच्छा लगा। एक दिन शाम को जब मेज़ पर बैठे सभी खाना खा रहे थे तभी टोपी ने
अपनी माँ से कहा, “अम्मी, जरा बैगन का भुरता।” इतना सुनते ही सभी के हाथ जहाँ के
तहाँ रुक गए। यह शब्द उसने कहाँ से सीखा? यह पूछा गया। वह पुनः इफ़्फ़न के घर न
जाए, ऐसा न स्वीकारने के कारण उसकी पिटाई भी की गई।
प्रश्न 5.
दस अक्टूबर सन् पैंतालीस का दिन टोपी के जीवन में क्या महत्त्व रखता है?
उत्तर
दस अक्टूबर सन् पैंतालीस वैसे तो सामान्य दिन था परंतु टोपी की जिंदगी में यह दिन
विशेष महत्व रखता है। इस दिन उसके सबसे प्यारे दोस्त इफ्फ़न के पिता का तबादला हो
गया था और वे सपरिवार मुरादाबाद चले गए थे। अब टोपी बिल्कुल अकेला हो गया था
क्योंकि इफ्फ़न के पिता की जगह आने वाले कलेक्टर के तीनों बेटों में से किसी ने
भी उसके साथ दोस्ती न की थी। इसी दिन टोपी ने कसम खाई थी कि वह ऐसे लड़के से
दोस्ती नहीं करेगा जिसका पिता ऐसी नौकरी करते हो जिसमें बदली होती हो।
प्रश्न 6.
टोपी ने इफ्फ़न से दादी बदलने की बात क्यों कही?
उत्तर
टोपी की दादी नहीं चाहती थीं कि टोपी इफ्फ़न के घर आए-जाए या उसकी बोली भाषा
सीखे। वे टोपी की भावनाओं की परवाह नहीं करती थी। टोपी को उनमें अपनापन नज़र नहीं
आया, इसलिए वे टोपी को अच्छी नहीं लगती थी। इसके विपरीत इफ़्फ़न की दादी टोपी से
पूरबी बोली में पूछती, ”तोरी अम्मा का कर रहीं…।” से बात शुरू करतीं और उसे प्यार
से तरह-तरह की कहानियाँ सुनाती। ऐसा अपनापन उसे कभी भी अपनी दादी से नहीं मिल
पाया था। इसलिए उसने इफ्फ़न से अपनी दादी बदलने की बात कही।
प्रश्न 7.
पूरे घर में इफ्फ़न को अपनी दादी से ही विशेष स्नेह क्यों था?
उत्तर
पूरे घर में इफ्फ़न को अपनी दादी से ही विशेष स्नेह था। यद्यपि प्यार तो उसे अपने
अब्बू, अम्मी और बाजी से भी था तथापि दादी से उसे विशेष लगाव था। अब्बू तो
कभी-कभी डॉट भी दिया करते थे परंतु एकमात्र दादी ही ऐसी थीं जिन्होंने उसका दिल
कभी नहीं दुखाया था। दादी रात में इफ़्फ़न को प्यार से तरह-तरह की कहानियाँ
सुनाया करती थीं। दादी की भाषा भी इफ्फ़न को अच्छी लगती थी। यही कारण था कि इफ्फन
अपनी दादी से बहुत प्यार करता था।
प्रश्न 8.
इफ्फन की दादी के देहांत के बाद टोपी को उसका घर खाली-सा क्यों लगने लगा?
उत्तर
इफ्फ़न की दादी के देहांत के बाद उसका अपना घर खाली-सा लगा, क्योंकि उस घर में
दादी के अलावा अन्य किसी से उसे अपनापन नहीं मिला। दादी ने ही उसका दुख-दर्द
समझा। जिस तरह टोपी को अपने घर में भी अपनापन नहीं मिला उसी तरह इफ्फ़न की दादी
भी अपनी बोली-भाषा के कारण परिवार में अलग-सी होकर रह रही थी। टोपी और दादी की
मुलाकात ने एक-दूसरे का दुख समझने का अवसर दिया। इससे दोनों के बीच उम्र का, धर्म
का और जाति का भेद किए बिना अटूट बंधन बँध गया। यही कारण है कि टोपी ने जब
इफ़्फ़न की दादी की मृत्यु की बाते सुनी तो वह उदास हो गया और एकांत में देर तक
रोता रहा।
प्रश्न 9.
टोपी और इफ्फन की दादी अलग-अलग मजहब और जाति के थे पर एक अनजान अटूट रिश्ते से
बँधे थे। इस कथन के आलोक में अपने विचार लिखिए।
उत्तर
लेखक ने बताया है कि टोपी कट्टर हिंदू परिवार से संबंध रखता था तथा इफ़्फ़न की
दादी मुसलमान थीं किंतु फिर भी टोपी और इफ्फन की दादी में एक अटूट मानवीय रिश्ता
था। दोनों आपस में स्नेह के बंधन में बंधे थे। टोपी को इफ्फ़न के घर में अपनापन
मिलता था। दादी के आँचल की छाँव में बैठकर वह स्नेह का अपार भंडार पाता था। इसके
लिए रीति-रिवाज़, सामाजिक हैसियत, खान-पान आदि कोई महत्व नहीं रखता था। इफ्फन की
दादी भी घर में अकेली थीं, उनकी भावनाओं को समझने वाला भी कोई न था। अतः दोनों का
रिश्ता धर्म और जाति की सीमाएँ पार कर प्रेम के बंधन में बँध गया। दोनों एक-दूसरे
के बिना अधूरे थे। लेखक ने हमें समझाया है कि जब दिल से दिल मिल जाते हैं तो
मज़हब और जाति के बंधन बेमानी हो जाते हैं। अतः स्पष्ट हो जाता है कि टोपी व
इफ्फ़न की दादी अलग-अलग मज़हब और जाति के होने पर भी वे दोनों आपस में प्रेम व
स्नेह की अदृश्य डोर से बँधे हुए थे।
प्रश्न 10.
टोपी नवीं कक्षा में दो बार फेल हो गया। बताइए
(क) जहीन होने के बावजूद भी कक्षा में दो बार फेल होने के क्या
कारण थे?
(ख) एक ही कक्षा में दो बार बैठने से टोपी को किन भावनात्मक
चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
(ग) टोपी की भावात्मक परेशानियों को मद्देनजर रखते हुए शिक्षा
व्यवस्था में आवश्यक बदलाव सुझाइए।
उत्तर
-
टोपी एक जहीन लड़का था, फिर भी वह दसवीं में दो साल फेल हो गया। इसके दो मुख्य
कारण थे
- घर के सदस्य टोपी से अपना-अपना काम करवाते थे। इससे उसे पढ़ने का अवसर न मिला।
- दूसरे साल वह टाइफ़ाइड होने के कारण पढ़ाई न कर सका।
- एक ही कक्षा में दो बार बैठने पर टोपी को अनेक भावनात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उसके साथ पढ़ने वाले साथी छात्र अगली कक्षा में चले गए। पिछली कक्षा से आने वाले छात्रों को वह अपना मित्र न बना सका जिनसे खुलकर वह बातचीत कर सके। कक्षा के अध्यापक भी बात-बात पर उसका मजाक उड़ाते थे। वे उसकी तरफ़ ध्यान नहीं देते थे। जिस प्रश्न का उत्तर उसे आता भी रहता, उसे न बताने देते। मौका मिलते ही कक्षा के छात्र उसका मजाक उड़ाते इससे टोपी अपमानित महसूस करता और अपनी बातें न कह पाता।
-
टोपी की भावनात्मक परेशानियों को ध्यान में रखने से ज्ञात होता है कि शिक्षा
व्यवस्था में कुछ कमियाँ हैं, जिनमें सुधार करना अत्यावश्यक है। इसके लिए कुछ
सुझाव निम्नलिखित हैं-
- छात्रों की प्रगति का आधार केवल वार्षिक परीक्षा को ही न बनाया जाए।
- छात्रों की परीक्षा साल में तीन-चार बार कराई जानी चाहिए।
- छात्रों की पाठ्य सहगामी क्रियाओं, उनकी रुचियों, व्यवहार आदि का भी मूल्यांकन किया जाना चाहिए।
- छात्र के पिछली कक्षा के परिणाम को भी ध्यान में रखकर उसे फेल करने का फैसला करना चाहिए।
प्रश्न 11.
इफ्फन की दादी के मायके को घर कस्टोडियन में क्यों चला गया?
उत्तर
कस्टोडियन का अर्थ ऐसे विभाग से है जो ऐसी संपत्ति को संरक्षण देता है जिस
संपत्ति पर किसी का कोई मालिकाना हक नहीं होता। जब इफ्फ़न की दादी की मृत्यु निकट
थी तो उनकी स्मरण-शक्ति समाप्त-सी हो गई। उन्हें यह भी याद न रहा कि अब उनका घर
कहाँ है। उनके सारे घरवाले कराची में रह रहे थे। इसलिए जब उनके घर का कोई ‘चारिस
न रहा तो उनके मायके का घर कस्टोडियन में चला गया।