मौखिक
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए
प्रश्न 1.
बड़े-बड़े बिल्डर समुद्र को पीछे क्यों धकेल रहे थे?
उत्तर
बड़े-बड़े बिल्डर समुद्र को पीछे धकेलकर उसकी जमीन हथिया रहे थे ताकि वे वहाँ पर
अपनी बड़ी-बड़ी इमारतें खड़ी करके ढेर सारा धन कमा सकें।
प्रश्न 2.
लेखक का घर किस शहर में था? ।
उत्तर
लेखक का घर ग्वालियर में था। अब वह मुंबई के वर्सावा में रहता है।
प्रश्न 3.
जीवन कैसे घरों में सिमटने लगा है?
उत्तर
पहले लोग बड़े-बड़े घरों में संयुक्त परिवार के रूप में रहते थे किंतु अब सब लोग
व्यक्तिवादी भावना से अभिभूत हैं इसलिए अब जीवन छोटे-छोटे डिब्बे जैसे घरों में
सिमटने लगा है।
प्रश्न 4.
कबूतर परेशानी में इधर-उधर क्यों फड़फड़ा रहे थे?
उत्तर
कबूतर परेशानी में इसलिए फड़फड़ा रहे थे क्योंकि उनके दोनों अंडे फूट गए थे। एक
को बिल्ली ने खा लिया था तो दूसरा लेखक की माँ के हाथ से टूट गया था।
लिखित
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए
प्रश्न 1.
अरब में लशकर को नूह के नाम से क्यों याद करते हैं?
उत्तर
अरब में लशकर को नूह के नाम से इसलिए याद किया जाता है क्योंकि वे सारी उम्र रोते
रहे। उनके रोने का कारण एक जख्मी कुत्ता था जिसे उन्होंने दुत्कार दिया था।
प्रश्न 2.
लेखक की माँ किस समय पेड़ों के पत्ते तोड़ने के लिए मना करती थीं और क्यों?
उत्तर
लेखक की माँ सूरज ढलने के बाद पेड़ों से पत्ते तोड़ने के लिए मना करती थीं। उनका
कहना था कि इससे पेड़ रोते हैं, बदुआ देते हैं।
प्रश्न 3.
प्रकृति में आए असंतुलन का क्या परिणाम हुआ?
उत्तर
प्रकृति में आए असंतुलन का दुष्परिणाम यह हुआ कि मौसम अनिश्चित हो गया। अब गरमी
में ज्यादा गरमी पड़ने लगी है, बेवक्त की बरसातें होने लगी हैं, तूफ़ान, भूकंप,
बाढ़, नए-नए रोगों का प्रकोप बढ़ चला है।
प्रश्न 4.
लेखक की माँ ने पूरे दिन का रोज़ा क्यों रखा?
उत्तर
लेखक की माँ कबूतर के एक अंडे को बिल्ली की पहुँच से दूर करने के लिए स्टूल पर
चढ़कर सुरक्षित रखने लगी, परंतु अंडा उनके हाथ से गिरकर टूट गया। इसके प्रायश्चित
में उन्होने पूरे दिन का रोज़ा रखा।
प्रश्न 5.
लेखक ने ग्वालियर से मुंबई तक किन बदलावों को महसूस किया? पाठ के आधार पर स्पष्ट
कीजिए।
उत्तर
समय के साथ लेखक ने अनेक बदलाव महसूस किए। जहाँ पहले हरियाली थी, पशु-पक्षी
उन्मुक्त विचरण करते थे, उन जंगलों | को काटकर चौड़ी सड़कें और मानव बस्तियाँ बनी
दी गईं। आज मनुष्य आत्मकेंद्रित हो गया है तथा भावनाएँ समाप्त होती जा रही हैं।
प्रश्न 6.
‘डेरा डालने से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
‘डेरा डालने’ को आशय है-अस्थाई रूप से बसना । अकसर खानाबदोश जातियाँ डेरा डालकर
रहती हैं क्योंकि उनके स्थायी घर नहीं होते। पाठ के आधार पर यह कहा जा सकता है कि
बड़ी-बड़ी बस्तियाँ बनने के कारण पेड़ों के कटने से अनेक पशु-पक्षियों के आश्रय
छिन गए। अब उन्होंने इधर-उधर डेरा डाल लिया अर्थात् रहने के लिए घोंसले बना लिए।”
प्रश्न 7.
शेख अयाज़ के पिता अपने बाजू पर काला च्योंटा रेंगता देख भोजन छोड़कर क्यों उठ
खड़े हुए?
उत्तर
शेख अयाज़ के पिता भोजन कर रहे थे तभी उन्होंने देखा कि एक काला च्योंटा उनकी
बाजू पर रेंग रहा है। वे भोजन छोड़कर उठ खड़े हुए। माँ दुद्वारा यह पूछने पर कि
क्या भोजन अच्छा नहीं लगा? वे बोले, यह बात नहीं है पर मैंने किसी घर वाले को
बेघर कर दिया है। उसे उसके घर कुएँ पर छोड़ने जा रहा हूँ। इससे पता चलता है कि वे
शीघ्र ही अपनी भूल का प्रायश्चित कर लेना चाहते थे।
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में लिखिए
प्रश्न 1.
बढ़ती हुई आबादी का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर
बढ़ती आबादी ने पर्यावरण के संतुलन को बिगाड़ कर रख दिया है। मानव ने समुद्र की
लहरों को सीमित कर दिया है। समुद्र के रेतीले तटों पर भी मानवों ने बस्ती बसा दी।
आसपास के जंगल काट डाले। पेड़ों को रास्तों से हटा दिया। परिणामस्वरूप पशु-पक्षी
बस्तियाँ छोड़कर भाग गए। वातावरण में गर्मी बढ़ने लगी। मौसम चक्र टूट गया।
बरसातें बेवक्त होने लगीं। कभी तूफ़ान, कभी आँधियाँ, कहीं बाहें, तो कहीं नए-नए
रोग पैदा होने लगे। इस प्रकार बढ़ती आबादी से पर्यावरण दूषित हो गया।
प्रश्न 2.
लेखक की पत्नी को खिड़की में जाली क्यों लगवानी पड़ी?
उत्तर
कबूतर अपने बच्चों के रखवाली के लिए बार-बार लेखक के घर में चले आते थे जिससे
लेखक का घर और पुस्तकालय गंदा होता था और आवश्यक सामान टूट जाते थे। इस समस्या से
परेशान होकर लेखक की पत्नी ने कबूतर को घर में आने | से रोकने के लिए खिड़की में
जाली लगवा दिया।
प्रश्न 3.
समुद्र के गुस्से की क्या वजह थी? उसने अपना गुस्सा कैसे निकाला?
उत्तर
समुद्र के गुस्से की वजह यह थी कि उसे निरंतर सिमटते जाना पड़ रहा था। कई वर्षों
से बड़े-बड़े बिल्डर समुद्र को पीछे धकेलकर उसकी जमीन हथिया रहे थे। बेचारा
समुद्र लगातारे अपना स्वरूप छोटा बनाते हुए सिमटता चला जा रहा था। पहले तो उसने
अपनी टाँगों को समेटा, फिर उकड़ें बैठ गया फिर वह खड़ा हो गया। यह प्रक्रिया
निरंतर चलती ही रही तो समुद्र को गुस्सा आ गया। जब उसे गुस्सा आया तो उसने गुस्से
में अपनी लहरों पर दौड़ते तीन जहाज़ों को उठाकर तीन दिशाओं में फेंक दिया। एक
वर्ली के समुद्र किनारे, दूसरा बांद्रा में कार्टर रोड के सामने और तीसरा
गेट-वे-ऑफ़ इंडिया पर गिरा। जहाज़ों में सवार लोग बुरी तरह घायल हो गए।
प्रश्न 4.
मिट्टी से मिट्टी मिले, खो के सभी निशान, किसमें कितना कौन है, कैसे हो पहचान’।
इन पंक्तियों के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
इन पंक्तियों के माध्यम से लेखक यह कहना चाहता है कि सभी प्राणियों का निर्माण एक
ही मिट्टी से हुआ है। इस शरीर में न जाने कौन-कौन सी मिट्टी मिली हुई है। इसका
बोध किसी को नहीं होता। सभी मनुष्य समान हैं। उनमें भेदभाव करना उचित नहीं है।
पशु-पक्षियों को भी वही परमात्मा बनाता है जो मनुष्यों को बनाता है। जब सभी
मनुष्यों में एक ही तत्त्व समाया हुआ है तो उनको अलग-अलग कर बताना उचित नहीं है।
इसे पहचाने की कोशिश भी व्यर्थ है।
(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए
प्रश्न 1.
नेचर की सहनशक्ति की एक सीमा होती है। नेचर के गुस्से का एक नमूना कुछ साल पहले
बंबई में देखने को मिला था।
उत्तर
इन पंक्तियों में लेखक का मत है कि प्रकृति का भी अपना नियम होता है। मनुष्य भले
ही अपनी स्वार्थपूर्ति के लिए उससे छेड़खानी करता है लेकिन उसके भी सहने की एक
सीमा है। यदि हम आवश्यकता से अधिक प्रकृति को छेड़ें या अतिरिक्त बोझ उस पर डालें
तो वह कुपित हो जाती है। इसका एक नमूना कुछ वर्षों पहले मुंबई में दिखाई दिया। जब
मनुष्य ने समुद्र के किनारे पर बस्तियों का निर्माण कर डाला तो समुद्र ने भी
कुपित होकर अपनी लहरों पर चलते हुए तीन जहाजों को गेंद की तरह हवा में उछाल दिया।
ये तीनों जहाज़ अलग-अलग स्थानों पर जा गिरे और इनमें सवार लोग इस प्रकार घायल हुए
कि चलने-फिरने के काबिल न रहे।
प्रश्न 2.
जो जितना बड़ा होता है उसे उतना ही कम गुस्सा आता है।
उत्तर
उदार और महान मनुष्य क्रोध कम करते हैं। वे बहुत ही सहनशील होते हैं। लेखक का मत
है कि जो बड़े होते हैं उन्हें कम गुस्सा आता है अर्थात् जिस व्यक्ति में बड़प्पन
होता है वह उदार व समझदार होता है। लेकिन यदि उसे अत्यधिक परेशाने किया जाए तो
कुपित होकर शांत नहीं रहता। इस पंक्ति का प्रयोग समुद्र के लिए हुआ है। मनुष्य ने
अपने स्वार्थ के लिए समुद्र को समेटकर रख दिया लेकिन जब वह क्रोधित हुआ तो उसने
अपनी ही लहरों पर चलते जहाज़ों को इस तरह दूर फेंका कि उन पर सवार लोग चलने-फिरने
के काबिल नहीं रहें।
प्रश्न 3.
इस बस्ती ने न जाने कितने परिंदों-चरिंदों से उनका घर छीन लिया है। इनमें से कुछ
शहर छोड़कर चले गए हैं जो नहीं जा सके हैं उन्होंने यहाँ-वहाँ डेरा डाल लिया
है।
उत्तर
इन पंक्तियों का आशय यह है कि मुंबई में समुद्र के किनारे मानवों की बस्ती बसाने
के लिए अनेक पेड़ों को काटना पड़ा जिससे न जाने कितने ही पशु-पक्षियों को अपने
घोंसले व आश्रय स्थल खोने पड़े। कुछ तो शहर छोड़कर चले गए जो शहर से बाहर नहीं गए
उन्होंने इधर-उधर ही डेरा डाल लिया अर्थात् अस्थायी घर बनाकर रहने लगे। लेखक कहता
है कि आज का मानव इतना स्वार्थी हो गया है कि अपनी स्वार्थपूर्ति के लिए दूसरों
को कष्ट देने से भी नहीं हिचकिचाता।
प्रश्न 4.
शेख अयाज़ के पिता बोले, नहीं, यह बात नहीं है। मैंने एक घरवाले को बेघर कर दिया
है। उस बेघर को कुएँ पर उसके घर छोड़ने जा रहा हूँ। इन पंक्तियों में छिपी हुई
उनकी भावना को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
शेख अयाज़ के पिता एक दयालु व परोपकारी व्यक्ति थे। वे किसी के साथ अन्याय नहीं
कर सकते थे। एक बार वे अचानक भोजन छोड़कर उठकर खड़े हुए तो उनकी पत्नी ने इसका
कारण पूछा तब वे बोले कि आज उनसे एक पाप हो गया है। उन्होंने एक च्योंटे को बेघर
कर दिया है। यह च्योंटा उनकी बाँह पर चढ़कर यहाँ तक चला आया है। अतः वे उसे उसके
घर (कुएँ) पर छोड़ने जा रहे हैं। इससे पाप का प्रायश्चित हो सकेगा। इन पंक्तियों
में शेख अयाज़ के पिता की उदारता एवं स्पष्टवादिता की भावना छिपी हुई थी। वे अपनी
भूल को तुरंत सुधारने में विश्वास रखते थे।